"याद है क्या अभी भी तुमको"- "कविता"- BY SHIVANKIT TIWARI "SHIVA"
याद है क्या अभी भी तुमको, वो पहली मुलाकात,
जब टकराये थे हम दोनों इत्तेफाक से उस रात,
याद है क्या अभी भी तुमको,पहली दफा जब भीगें थे साथ-साथ,
वह बिजली की चमक,तेेेज गड़गड़ाहट और मद्धम सी बरसात,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब पहली बार थामा था मेरा हाथ,
किए थे अनगिनत वादे,मरते दम तक नही छोडूंगी तुम्हारा साथ,
याद है क्या सच में अभी भी तुमको,जब पहली बार कहा था मुझे तुमसे प्यार हो गया,
मेरी सांसें सिर्फ तुम्हारें नाम से चलती हैं,मुझे बस तुम्हारा ही अब नशा-ए-खुमार हो गया,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब मुझे देख नजरें झुकाकर निहारा करती थी,
रोज मेरी गलियों में आकर,छुपकर मेरा नाम पुकारा करती थी,
अच्छा सच में अभी भी तुमको,याद तो होगी उस अन्तिम दिन की अन्तिम बात,
जब आकर अन्तिम बार कहा कीचड़ हो तुम अब मुझे नहीं रहना तुम्हारें साथ,
सच में मुझे आज भी नही पता ऐसी क्या हो गयी थी बात,
क्यों तुमने सारे रिश्ते तोड़ के मुझसे छोड़ दिया मेरा हाथ,
खैर,आज सच में मैं तुम्हारा दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ,
उस कीचड़ से निकल कड़े सफर के बाद आज कमल में सवार हूँ,
तुमने ही प्यार में औकात बताई मेरी,अब नही पड़ा दोबारा किसी के प्यार में हूँ मैं,
तुम तो आखिर वहीं रह गयी,लेकिन आज शहर के हर अखबार में हूँ मैं,
-शिवांकित तिवारी "शिवा"
युवा कवि एवं लेखक
सतना (म.प्र.)
जब टकराये थे हम दोनों इत्तेफाक से उस रात,
याद है क्या अभी भी तुमको,पहली दफा जब भीगें थे साथ-साथ,
वह बिजली की चमक,तेेेज गड़गड़ाहट और मद्धम सी बरसात,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब पहली बार थामा था मेरा हाथ,
किए थे अनगिनत वादे,मरते दम तक नही छोडूंगी तुम्हारा साथ,
याद है क्या सच में अभी भी तुमको,जब पहली बार कहा था मुझे तुमसे प्यार हो गया,
मेरी सांसें सिर्फ तुम्हारें नाम से चलती हैं,मुझे बस तुम्हारा ही अब नशा-ए-खुमार हो गया,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब मुझे देख नजरें झुकाकर निहारा करती थी,
रोज मेरी गलियों में आकर,छुपकर मेरा नाम पुकारा करती थी,
अच्छा सच में अभी भी तुमको,याद तो होगी उस अन्तिम दिन की अन्तिम बात,
जब आकर अन्तिम बार कहा कीचड़ हो तुम अब मुझे नहीं रहना तुम्हारें साथ,
सच में मुझे आज भी नही पता ऐसी क्या हो गयी थी बात,
क्यों तुमने सारे रिश्ते तोड़ के मुझसे छोड़ दिया मेरा हाथ,
खैर,आज सच में मैं तुम्हारा दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ,
उस कीचड़ से निकल कड़े सफर के बाद आज कमल में सवार हूँ,
तुमने ही प्यार में औकात बताई मेरी,अब नही पड़ा दोबारा किसी के प्यार में हूँ मैं,
तुम तो आखिर वहीं रह गयी,लेकिन आज शहर के हर अखबार में हूँ मैं,
-शिवांकित तिवारी "शिवा"
युवा कवि एवं लेखक
सतना (म.प्र.)

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