धर्मवीर भारती के 10 विचार, पढ़िए उनके उपन्यास से खोजे गए प्रेरक विचार

धर्मवीर भारती के 10 विचार, पढ़िए उनके उपन्यास से खोजे गए प्रेरक विचार-
1. "एक नशा होता है - अन्धकार के गरजते महासागर की चुनौती स्वीकार करने का, पवर्ताकार लहरों से खाली हाथ जूझने का, अनमापी गहराइयों में उतरते जाने का और फिर अपने आप को सारे खतरों में डालकर आस्था के, पर्काश के, सत्य के, मयार्दा के, कुछ कणों को बटोर कर, बचा कर, धरातल तक ले जाने का - इस नशे में इतनी गहरी वेदना और इतना तीखा सुख घुला-मिला रहता है कि उसके आस्वादन के लिए मन बेबस हो उठता है." - धर्मवीर भारती. 'अंधायुग' की भूमिका में. 

 2."
संतोष सिर्फ इतना है कि घंटियाँ बजती हैं तो शायद तुम उन्हें पूजा के मंदिर की घंटियाँ समझते होंगे।
धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता

 3. "कभी कभी उदासी भी थक जाती है ।" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता

 4. "हरेक आदमी जिंदगी से समझौता कर लेता है किन्तु मैंने जिंदगी से समर्पण कराकर उसके हथियार रख लिए हैं।" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता 

 5. "अगर पुरुष के होठों में तीखी प्यास न हो, बाहुपाशों में जहर न हो तो वासना की इस शिथिलता से नारी फ़ौरन समझ जाती है की संबंधों में दूरी आते जा रही है। सम्बन्धों की घनिष्टता को नापने का नारी के पास एक ही मापदंड है, चुम्बन का तीखापन!" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता

Image Courtesy: Internet

 6. "या तो प्यार आदमी को बादलों की ऊँचाई तक उठा ले जाता है , या स्वर्ग से पाताल में फेंक देता है।लेकिन कुछ प्राणी हैं, जो न स्वर्ग के हैं न नरक के, वे दोनों लोकों के बीच में अंधकार की परतों में भटकते रहते हैं। वे किसी को प्यार नहीं करते, छायाओं को पकड़ने का प्रयास करते हैं, या शायद प्यार करते हैं या निरंतर नयी अनुभूतियों के पीछे दीवाने रहते हैं और प्यार बिलकुल करते ही नहीं ......... कपूर, मैं उसी अभागे लोक की एक प्यासी आत्मा थी।" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता 

 7. "हिन्दू नारी इतनी असहाय होती है, उसे पति से, पुत्र से, सभी से इतना लांछन, अपमान और तिरस्कार मिलता है कि पूजा पाठ न हो तो पशु बन जाए। पूजा पाठ ने ही हिन्दू नारी का चरित्र इतना ऊँचा रखा है।" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता 

 8. "..दर्द इंसान के यकीदे को और मजबूत न कर दे, आदमी के कदमो को और ताकत न दे, आदमी के दिल को उचाई न दे तो इंसान क्या? धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता 

 9. "सचमुच लगता है कि प्रयाग का नगर-देवता स्वर्ग-कुंजों से निर्वासित कोई मनमौजी कलाकार है जिसके सृजन में हर रंग के डोरे हैं।" Dharamvir Bharati (धर्मवीर भारती), गुनाहों का देवता 

 10. "जिस समय परीक्षकों के घर में पारिवारिक कलह हो, मन में अंतर्द्वंद हो या दिमाग में फितूर हो, उस समय उन्हें कॉपियाँ जांचने से अच्छा शरणस्थल नहीं मिलता। अपने जीवन की परीक्षा में फेल हो जाने की खीझ उतारने के लिए लड़कों को फेल करने के अलावा कोई अच्छा रास्ता ही नहीं है।" धर्मवीर भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहों का देवता

Comments

Popular posts from this blog

"एक कविता" रिया के लिये..BY SHIVANKIT TIWARI "SHIVA"

It was snapped in half' - Maxwell explained about his injury

"वो अपना यार"- "कविता" - BY SHIVANKIT TIWARI "SHIVA"